अस्थमा एक दीर्घकालिक श्वसन रोग है जो सांस की नलियों में सूजन और संकुचन के कारण होता है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है और उचित देखभाल न मिलने पर गंभीर हो सकता है।
अस्थमा के कारण
एलर्जी: धूल, धुआं, पराग कण, पालतू जानवरों के रोएँ आदि से एलर्जी।
वातावरणीय कारक: वायु प्रदूषण, ठंडी हवा, नमी आदि।
आनुवंशिकता: यदि परिवार में किसी को अस्थमा है, तो इसकी संभावना अधिक हो सकती है।
संक्रमण: वायरल संक्रमण, विशेष रूप से श्वसन तंत्र में, अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं।
तनाव और व्यायाम: मानसिक तनाव और अधिक शारीरिक परिश्रम से भी अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं।
अस्थमा के लक्षण
सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट (व्हीज़िंग), खांसी, विशेषकर रात के समय, सीने में जकड़न, जल्दी थकान महसूस होना
अस्थमा का उपचार
1. इनहेलर का उपयोग: ब्रोंकोडायलेटर्स और स्टेरॉयड इनहेलर का प्रयोग किया जाता है।
2. दवाइयाँ: डॉक्टर की सलाह से एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एलर्जिक दवाइयाँ ली जा सकती हैं।
3. नेब्युलाइजर थेरेपी: गंभीर मामलों में इसका प्रयोग किया जाता है।
4. योग और प्राणायाम: अनुलोम-विलोम, कपालभाति आदि करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
अस्थमा की रोकथाम
धूल और धुएँ से बचें।
घर को स्वच्छ और हवादार रखें।
धूम्रपान से दूर रहें।
तनाव को कम करें और नियमित व्यायाम करें।
डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयाँ लें और लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें।
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