टीबी (ट्यूबरक्यूलोसिस) एक संक्रामक बीमारी है जो मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे मस्तिष्क, हड्डियों, किडनी आदि को भी प्रभावित कर सकती है। यह बीमारी हवा के माध्यम से फैलती है और यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकती है।
टीबी के कारण
टीबी का मुख्य कारण मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक बैक्टीरिया होता है। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या थूकने से हवा में फैलता है और जब कोई स्वस्थ व्यक्ति इस दूषित हवा में सांस लेता है, तो वह भी संक्रमित हो सकता है। टीबी के फैलने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में अधिक समय तक रहना, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (एचआईवी, मधुमेह, कुपोषण आदि के कारण), गंदगी और भीड़-भाड़ वाले स्थानों में रहना, धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन, कुपोषण और खराब जीवनशैली
टीबी के लक्षण
टीबी के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और कई बार लोग इसे सामान्य सर्दी-खांसी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इसके कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं: तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहना, खांसी के साथ खून आना, वजन का अचानक कम होना, भूख न लगना, रात में पसीना आना, कमजोरी और थकान महसूस होना, बुखार रहना (विशेषकर शाम को)
टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकती है, बशर्ते कि इलाज को सही तरीके से पूरा किया जाए। भारत में डीओटीएस (Directly Observed Treatment, Short-course) कार्यक्रम के तहत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त इलाज उपलब्ध है।
टीबी के उपचार में शामिल हैं:
एंटी-ट्यूबरक्यूलस दवाएं – इन्हें 6-9 महीने तक डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना होता है।
स्वस्थ आहार – प्रोटीन और विटामिन से भरपूर भोजन लेना चाहिए।
आराम और स्वच्छता – भरपूर नींद और साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है।
नियमित जांच – डॉक्टर के पास नियमित रूप से जाना और पूरा कोर्स खत्म करना जरूरी है।
टीबी से बचाव
टीबी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए: बीसीजी (BCG) वैक्सीन का टीका बचपन में लगवाएं। संक्रमित व्यक्ति से उचित दूरी बनाए रखें। भीड़-भाड़ वाले और गंदे स्थानों से बचें। संतुलित आहार लें और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखें। अगर किसी को टीबी है तो उसे खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल या मास्क लगाना चाहिए।
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